भाई दूज रविवार यानी 3 नवंबर को रवियोग एवं ययीजय योग के शुभ संयोग में मनाया जाएगा। पंडित प्रभात मिश्र ने बताया कि कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि भाई दूज के नाम से जानी जाती है। इस दिन बहनें यम देवता से अपने भाई की लंबी उम्र की कामना करती हैं। पूजन का समय सुबह 6:05 से 9:40 तक है और तिलक मुहूर्त दिन में 09 :52 से 01:29 और पुनः 03 बजे से 05 बजे तक है।
पौराणिक मान्यता है कि अगर बहनें शुभ मुहूर्त में भाइयों को तिलक करतीं हैं तो भाइयों की उम्र लंबी होती है। भाई और बहन के जीवन में सुख- समृद्धि आती हैं। मान्यता है कि इस दिन यमुना ने अपने भाई यम को आदर सत्कार के साथ भोजन कराया था। यमराज के वरदान के मुताबिक जो व्यक्ति इस दिन यमुना में स्नान कर यम का पूजन करेगा उसे मृत्यु के बाद उसे यमलोक में नहीं जाना पड़ेगा। यमुना को सूर्य की पुत्री माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि वे सभी तरह के कष्टों को दूर करती हैं इसलिए यम द्वितीया के दिन यमुना नदी में स्नान करना और यमुना और यमराज की पूजा करना विशेष फलदायी माना जाता है।
ऐसे करें पूजा
इस दिन भाई को घर बुलाकर तिलक लगाकर भोजन कराने की परंपरा है।
भाई के लिए पिसे हुए चावल से चौक बनाएं।
भाई के हाथों पर चावल का घोल लगाएं।
भाई को तिलक लगाएं।
तिलक लगाने के बाद भाई की आरती उतारें।
भाई के हाथ में कलावा बांधें।
भाई को मिठाई खिलाएं।
मिठाई खिलाने के बाद भाई को भोजन कराएं।
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